सरकार गरीबों को मुफ्त मोबाइल देगी या नहीं, इस पर अंतिम फैसला तो होना अभी बाकी है, पर हकीकत यह है पंजाब से तमिलनाडु तक सूचना प्रौद्योगिकी देश की राजनीति में आश्चर्यजनक रूप में अहम भूमिका निभा रही है। रोटी, कपड़ा व मकान का वायदा करने वाले दल अब मजबूरी में ही सही, पर लोगों को मोबाइल, लैपटॉप और टेबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट देने की घोषणाएं करने लगे हैं, जिसका मकसद अंतत: इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है।मैककिन्सी ऐंड कंपनी द्वारा किया गया एक अध्ययन बताता है कि 2015 तक भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादाद तिगुनी होकर 35 करोड़ से भी ज्यादा हो जाएगी। यानी अमेरिका की वर्तमान जनसंख्या से भी ज्यादा हो जाएगी, जिसमें बड़ी भूमिका स्मार्टफोन निभाने वाले हैं। स्मार्टफोन वे मोबाइल फोन हैं, जिन पर इंटरनेट भी चल सकता है। गूगल के एक सर्वे के मुताबिक, भारत में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादाद फिलहाल अमेरिका के 24.5 करोड़ स्मार्टफोन धारकों से आधी से भी कम है।अभी सिर्फ आठ प्रतिशत भारतीय घरों में कंप्यूटर हैं, पर उम्मीद है कि 2015 तक मोबाइल फोन इंटरनेट तक पहुंचने का बड़ा जरिया बनेंगे और 350 करोड़ संभावित इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में से आधे से ज्यादा मोबाइल के जरिये ही इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अन्य क्षेत्रों के मुकाबले इंटरनेट में महिलाओं की भागीदारी कहीं तेजी से बढ़ रही है।भारत में फेसबुक से अभी 29 प्रतिशत महिलाएं जुड़ी हैं, जिनकी संख्या आने वाले वर्षों में पचास प्रतिशत होने की उम्मीद है। आने वाले साल भारत में सामाजिक-आर्थिक स्तर पर एक बड़े परिवर्तन का गवाह बनेंगे। इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल जहां पारदर्शिता और जवाबदेही लाएगा, वहीं लोग मुखर तरीके से अपनी बात सोशल नेटवर्किंग साइटों के माध्यम से रख पाएंगे। इससे एक स्वस्थ जनमत के निर्माण में मदद मिलेगी।इसमें कोई शक नहीं कि ये आंकड़े उम्मीद जताते हैं, पर कुछ सवाल भी हैं, जिनके जवाब मिलने बाकी हैं। इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत की ग्रामीण जनसंख्या का दो प्रतिशत ही इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहा है। यह आंकड़ा इस हिसाब से बहुत कम है, क्योंकि हमारी करीब साठ प्रतिशत आबादी अब भी शहरों से बाहर रहती है। इस वक्त ग्रामीण इलाकों के कुल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से 18 प्रतिशत को इसके इस्तेमाल के लिए 10 किलोमीटर से ज्यादा का सफर करना पड़ता है।इस दूरी को खत्म करने के लिए गंभीरता से प्रयास करने होंगे। जाहिर है, मोबाइल फोन एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं। देश में सूचना-तकनीक का विस्तार हो रहा है, पर इसका लाभ इस बात पर निर्भर करेगा कि इंटरनेट का इस्तेमाल कौन और कैसे कर रहा है?
हिन्दुस्तान में 25/08/12 को प्रकाशित
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