Tuesday, August 28, 2012

सोशल मीडिया की कुंजी अमेरिका के हाथ

इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साईट्स एक बार फिर चर्चा में मुद्दा असम में हुई समस्या और भारत के कई शहरो से उत्तर पूर्व के निवासियों का पलायन सरकार ने इसके लिए इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर फ़ैली अफवाहों और भडकाऊ तस्वीरों को दोषी माना और कार्यवाही करते हुए 245 वेबसाइट-वेब पन्नों को ब्लॉक कर दिया गया|आश्चर्यजनक रूप से तेजी दिखाते हुए सरकार के इस  फैसले के बाद अमरीकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलैंड बयान दिया  कि अमरीका इंटरनेट की आजादी के पक्ष में है| भारत  सरकार से निवेदन किया कि वो मूलभूत अधिकारोंकानून और मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जारी रखे|आमतौर पर अमेरिकी सरकार के इस बयान को इंटरनेट और मानवाधिकारों के पक्ष में अमेरिका के समर्थन के रूप में देखा गया पर क्या वास्तव में ऐसा है या अमेरिका का ये बयान उसकी व्यसायिक प्रतिबद्धताओं का नतीजा है|अमेरिका का इतिहास बताता है कि वो ऐसी नीतियां बनाता है जो उसके व्यवसायिक हितों की पूर्ति करे और ऐसी संस्थाओं का संरक्षण करता है जो उसके हित लाभ के साधन में मदद करे |तस्वीर का एक रुख विकिलीक्स से जुड़ा है इसी मुद्दे पर जब एक पत्रकार ने अमरीकी विदेश मंत्रालय से विकिलीक्स के मामले पर इंटरनेट की आजादी के बारे में उनकी राय पूछी तो जवाब मिला  कि वो मामला अलग है| बात भले छोटी हो पर इसके निहितार्थ बड़े हैं| 
          विकिलीक्स का जन्म ही इंटरनेट की ताकत और विस्तार के कारण हुआ और इस पर सबसे बड़ी चोट अमेरिका ही ने पहुंचाई |विकिलीक्स के द्वारा जारी किये गए सैकड़ों गोपनीय कूटनीतिक संदेशो से सारी दुनिया अमेरिका के दोहरे रवैये को जान गयी वहीं इस खुलासे से वेब पत्रकारिता को नया आयाम मिला आमतौर पर समाचार पोर्टल टीवी और अखबार की सामग्री से ख़बरें बनाते थे पर मानव सभ्यता के इतिहास में पहली बार वेब से आयी सामग्री टीवी और अख़बारों की ख़बरों का आधार बनी|भारत को मानवाधिकार और इंटरनेट की आजादी का पाठ पढाने वाले इस बयान को जरा इन आंकड़ों के संदर्भ में पढ़ें तो एक बार फिर अमेरिका का व्यवसायिक नजरिया स्पष्ट हो जाएगा | अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार यूनियन यानि आईटीयू के आंकड़ों के अनुसार विश्व में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में पिछले चार वर्षों में 77 करोड़ का इजाफ़ा हुआ है|सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था विकास केंद्रित हुई है| मैकिंसे के नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में इंटरनेट ने बीते पांच साल में जीडीपी की वृद्धि  में पांच प्रतिशत का  योगदान किया है, आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने में इन्टरनेट की भूमिका में  अमेरिका के व्यवसायिक हित सम्मिलित हैं ,इंटरनेट के अस्तित्व में आने से इस पर हमेशा अमेरिकी सरकारकंपनियोंऔर प्रयोगकर्ताओं  का अधिपत्य  रहा है लेकिन अब इसमें तेजी से बदलाव आ रहा है जिसका केंद्र भारत और ब्राजील जैसे देश शामिल हैं जहाँ इंटरनेट तेजी से फल फूल रहा है जिसमे बड़ी भूमिका फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवकिंग साईट्स निभा रही है |सोशल नेटवर्किंग साईट्स के प्रभाव का आंकलन करते वक्त हम इसके व्यवसायिक पक्ष को  दरकिनार नहीं कर सकते जो अमेरिका की अर्थव्यवस्था में अपना अहम योगदान दे रही हैं क्योंकि सभी बड़ी सफल सोशल नेटवर्किंग साईट्स का उद्गम अमेरिका ही है फेसबुक का मतलब महज सोशल नेटवर्किंग नहीं है बल्कि  ये विज्ञापन ,मीडिया और नए रोजगार के निर्माण से भी सम्बन्धित है | फेसबुक को अन्य देशों की क्षेत्रीय सोशल नेटवर्किंग साइट जैसे दक्षिण कोरिया में सिवर्ल्डजापान की मिक्सीरूस में वोकांते से कड़ी टक्कर  मिल रही है। भारत में सक्रि फेसबुक  उपभोक्ताओं की संख्या 31 दिसम्बर 2011 तक पिछले वर्ष की तुलना में 132 फीसदी की वृद्धि के साथ 4.60 करोड़ रही।फेसबुक के ये प्रयोगकर्ता किसी भी कम्पनी के विज्ञापन प्रसार के लिए एक बड़ा बाजार हैं | मेरीलैंड विश्विद्यालय द्वारा किये गए एक शोध के मुताबिक फेसबुक एप अर्थव्यवस्था ने अमेरीकी अर्थववस्था में वेतन के रूप में 12.19 बिलियन डॉलर का योगदान दिया वहीं 182,000 नए रोजगार पैदा किये |अमेरिका के मुकाबले भारत के बाजार में अभी बड़ी संभावनाएं जिनका दोहन होना है  |भारत में हुई मोबाईल क्रांति और युवाओं का बड़ा वर्ग सोशल नेटवर्किंग साईट्स के लिए एक बड़ा बाजार उपलब्ध करा रहा है|ऐसे समय में भारत सरकार द्वारा कुछ वेब् साईट्स को ब्लॉक करने के फैसले से अमेरिका को तुरंत बयान देने पर मजबूर होना पड़ा | सूचना क्रांति ने लोगों के  मूलभूत अधिकारों,और मानवाधिकारों को एक बड़े बाजार में तब्दील कर दिया है|यह भी सूचना क्रांति का एक पक्ष है |
अमर उजाला में 28/08/12 को प्रकाशित 

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