Wednesday, August 21, 2013

राखी

राखी का त्यौहार निकट आया 
मेरा ह्रदय प्रसन्नता से भर आया 
मैं दौड कर पहुंचा मान के पास 
हर्षित मन से पूछा प्रश्न सोल्लास 
माँ "मेरे कौन बांधेगा राखी ?
मेरे इस प्रश्न पर छाई माँ के चेहरे पर उदासी
मैं उदासी का मतलब समझ गया
और मन मसोस कर रह गया
शायद भगवान को यही मंजूर था
मुझे बहन का प्यार पाना नामंजूर था
(साल 1990 था पर किस दिन लिखी थी याद नहीं ये कवि
ता ......

6 comments:

Unknown said...

sir, kya mata ji ne rakhi nahi bandhi, sir meri bhi koi behen nahi hai to maine bhi kabhi ma se yahi sawal pucha tha tab ma ne mujhe rakhi bandh di thi .

Unknown said...

राखी एक पवित्र बंधन है जो एक बहन अपने भाई की रक्षा के लिए करती है और उसे एक डोर से उसके उज्वल भविष्य की कामना करती है ये ज़रूरी नहीं की माँ की बेटी ही बहन हो हम जिसको अपना मानते है उससे भी हम राखी बन्द्वा सकते है और बहिन भाई के रिश्ते को निभा सकते हैं /

Unknown said...

SAAYAD YE SABAK HUM SAB K LIYE HAI K RAAKHI K LIYE HUM BAHEN TO CHAHTE H PR APNI SANTAAN K ROOP ME LADKI K NA JANAM LENE KI DUA KARTE HAI OR LUSKE JANAM LE LENE PR USKA TIRASKAAR KARTE TO KABI SADAK PR CHAL DUSRON KI BAHNON PR GALAT NIGAAH DAALTE HAI. ISLIYE SAAYAD YHI SAZA HAI HUM SAB KI TARSEGI HUMAARI KALAI RAAAKHI KO...

सूरज मीडिया said...

बहन सबको चाहिए,लेकिन बेटी नहीं । अरे जब बेटी ही नहीं होगी तो वो किसी की बहन कैसे बनेगी। बहुत अच्छा सर ।

सूरज मीडिया said...

आपकी ये लाइन पढ़कर मेरी आँखों में आंसू आ गए। सर
मेरा भी यही कहना है सबसे की बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ। तभी वह किसी की बहन बनेगी ।

Sumbul said...

The poem leaves the readers wondering why the mother is sad when the son asks “मुझे राखी कौन बांधेगा”
The way I perceive it, it sheds light on the issue of killing of girl child. The child is saddened when he’s alone on a festival, but its these male children who when grow up, kill their daughter, sometimes even before they’re born.

-Sumbul Imran

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