दुनिया वाकई बहुत तेजी से बदल रही है और प्यार करने और
उसे जताने के तरीके भी अब देखिये न हमारे ज़माने में गाना बजता था "कितना प्यार तुम्हें करते हैं आज हमें
मालूम हुआ, जीते नहीं तुम पर मरते हैं|"जब प्यार का
इज़हार करना थोडा मुश्किल था और वेलेन्टाईन डे को
लेकर एक हिचक हुआ करती थी हमारे कैम्पस भी तब ऐसे ही हुआ करते थे थोड़े से सहमे से प्यार के किस्से तब भी थे पर इश्क तब सिर्फ इश्क था न कि इश्क वाला लव |इसे आप वैश्वीकरण की बयार का असर कहें या इंटरनेट क्रांति का जोर जिसने आज की
पीढी को ज्यादा मुखर बना दिया है|फेसबुक ट्विटर से
लेकर व्हाट्सएप और हाईक जैसे चैटिंग एप आपको मौका दे रहे हैं कि कुछ भी मन में न रखो जो है बोल दो|वो वक्त चला गया
जब फिल्म की नायिका ये
गाना गाते हुए जीवन बिता देती थी “मेरी बात रही मेरे मन में कुछ कह न सकी उलझन में” अब प्यार के इज़हार में कोई लैंगिक विभेद नहीं है |लड़के लड़कियां सभी
कोई रिग्रेट लेकर नहीं जीना चाहते हैं |क्रश होना सामान्य है और
इसके इज़हार में अब कोई समस्या नहीं दिखती|भले ही लव इज भेस्ट ऑफ़ टाईम हो
पर चलो कर के देख ही लिया जाए ये आज की पीढी का मन्त्र है|
पर थोड़ी सी बात
जो मुझे परेशान करती है वो है रिश्ते जितनी तेजी से बन रहे हैं उतनी तेजी से टूट भी रहे हैं|दिखावे पर जोर ज्यादा है |रोज डे से शुरू हुआ प्यार का सिलसिला होली आते आते होलिका की
आग में दहन हो जाता है |हर युवा जल्दी
में है ये जल्दबाजी दिल के रिश्तों में अच्छी नहीं है |
वक्त ने किया क्या हंसी सितम का दौर कब का जा चुका है अब तो ब्रेकअप की पार्टी दी जा रही है| जोर दिखावे पर है तू अभी तक सिंगल है,तेरा कोई बॉय
फ्रैंड नहीं या तेरी कोई गर्ल फ्रैंड नहीं है ऐसे प्रश्न ये बताते हैं कि अगर आप किसी ऐसे रिश्ते में नहीं हैं तो
कुछ खोट है आपमें | अब कुछ भी
व्यक्तिगत नहीं है|फेसबुक या
व्हाट्सएप स्टेटस की तरह रिलेशनशिप
स्टेट्स बदले जा रहे हैं ,रिश्ते वक्त
मांगते हैं उनको फलने फूलने में समय
लगता है पर इतना टाईम किसके पास है |असुरक्षा की भावना इतनी ज्यादा है
कि फेसबुक की टाईम लाइन से लेकर वहाट्सएप पर ऑनलाईन रहने के सिलसिले तक सभी जगह निगाह रक्खी जा रही है |ये टू बी ऑर नॉट
टू बी जैसा दौर है जिसे हम गिरने और सम्हलने
से समझ सकते हैं |आज की पीढी ज्ञान नहीं चाहती और अनुभव के स्तर पर सब चीज महसूस करना
चाहती है |इसमें किसी को आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए पर रिश्तों को बनाने और
सम्हालने की जिम्मेदारी के
एहसास का गायब हो जाना थोडा परेशान करता है |
हिन्दुस्तान लखनऊ में 09/02/15 को प्रकाशित टिप्पणी
6 comments:
आज कल की हमारी पीढ़ी पर कटाक्ष करते हुये एक शायर ने कहा था .....
मोबाइलों के दौर के ये आशिक क्या जाने ....
॰
कैसे रखते थे खत मे हम कलेजा निकाल के ....
शायद रिश्तों के बीच ये बात भी लागू होती है जैसे इलेक्ट्रानिक के सामान ज्यादा नहीं चलते वैसे ही रिश्ते भी हो गए हैं अब ॥
खूब कहा सुशील जी ने रिश्तों के बारे में.
मीडिया के फलने फूलने के बाद अंधानुकरण की होड सी लग गयी है पिछले ३० सालों में. हैप्पी न्यू ईयर के साथ शुरू हुआ सिलसिला लगभग
सभी विलायती मौकों को मनाने में जुटा है. हमारी संस्कृति इन मौकों के पीछे छुप गयी सी प्रतीत होती है.
जिम्मेदारी के अहसास का गुम होना चिंता का विषय है मुकुल जी. नयी पीढ़ी को मोबाइल की रिफिल और पेट्रोल के पैसे के सिवा शायद
दूसरी चीज़ें दिखना बंद हो गयी हैं.
Love is losing its true meaning because of the growing trend of digital love. we have become so dependent on technology for our love. now days emotions and feelings are measured on the amount of time of your chatting or your relationship status on facebook or your pictures on instagram.
प्यार के बाज़ार में सब दुकान लगाकर बैठे हैं, न उसमें सम्मान हैं, न भरोसा न रिश्तों की मज़बूत डोर। सोशल मीडिया पर जिस प्यार का ऐलान ज़ोर-शोर से किया जाता है उसे हकीकत में कबूला नहीं जाता।
नहीं ये हो नहीं सकता की तेरा लाईक न आए
बिना तेरे, मेरे दिलबर फेसबुक रास न आए
तेरे देखने से पहले मुझे नज़र न लग जाए।
प्यार के मानव मस्तिष्क पर असर के बारे में काफी रिसर्च हुई हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि कि जब कोई व्यक्ति प्यार में होता है तो उसके शरीर में एक ख़ास हार्मोन का प्रवाह बढ़ जाता है। इनमे से एक है ऑक्सीटोसिन, जिसे आम भाषा में 'लव हार्मोन' कहते हैं। लेकिन ये लव हार्मोन का साइड इफ़ेक्ट आज के ज़माने में जल्दी नही देखने को मिलते अब तो लोग प्यार सिर्फ़ और सिर्फ़ सूरत खूबसूरती पैसा देख कर करते हैं ।
मुहब्बत में सच्चा प्यार न मिला, दिल से चाहे हमें वो प्यार न मिला।
लूटा दिया उसके लिए सब कुछ मैने, मुसीबत में मुझे मददग़ार न मिला।
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