Thursday, May 9, 2019

शब्दों नहीं ध्वनियों का होगा इंटरनेट पर राज

तकनीक भले ही हमें अंग्रेजी बोलने के लिए मजबूर करती है पर अब वही तकनीक हमें नयी भाषाएँ सीखने में मदद कर रही है |दुनिया की आधी से अधिक आबादी द्विभाषी हैजिसका अर्थ है कि हर दिन 3.5 बिलियन लोग एक से अधिक भाषा बोलते हैं। भले ही आप जन्म के बाद से दो (या अधिक) भाषाएं बोल चुके हों पर हमारा  फ़ोन और लैपटॉप एक समय में केवल एक भाषा सेटिंग के लिए ही  प्रोग्राम किए जा सकते हैं। इसका मतलब है कि हर बार जब हमें  भाषाओं को बदलना होता है  - जैसे कि हिन्दी  में अपनी माँ से एक संदेश का जवाब देना और फिर तेलगु  में अपने सहयोगी से अगला तो हमें मैन्युअल रूप से एक सेटिंग से दूसरी में स्विच करना होता है । इन सबका परिणाम यह होता है कि लोग को अपने संदेशों की सामग्री को सरल बनाने या सबसे सामान्य वैश्विक भाषा: अंग्रेजी का उपयोग करते हुए संचार को मानकीकृत करने के लिए मजबूर हो जाते हैं |कई अध्ययनों के अनुसारबहुभाषी होने के बहुत सारे लाभ हैं। इनमें सामाजिक और पेशेवर शामिल हैंजैसे कि आपको लोगों के एक पूरे अलग समूह  के साथ संवाद करने और नए विचारों को समझने का अवसर मिलता है। गैर-अंग्रेजी बोलने वाले स्वाभाविक रूप से विकलांग होते हैं जब आधुनिक पाठ्य संचार की बात आती है। QWERTY की बोर्ड की टाइपिंग की कार्यक्षमता शुरू में अंग्रेजी भाषा  के समर्थन के लिए बनाई गई प्रणाली से ही ली गई थी: छब्बीस  अक्षरस्माल और कैपिटल  कोई मात्रा ,बिंदी ,पाई  नहीं। लेकिन अगर आप ऐसी भाषा में लिखना चाहते हैंजिसमें ध्वनि  अक्षरों का उपयोग किया गया हो - जैसे कि हिन्दी या तेलुगु -या अन्य भाषा में हमारी टाइपिंग धीमी हो जाते है  क्योंकि ध्वनियों के लिए शब्द मानक की बोर्ड का सीधा हिस्सा नहीं होते हैं  हैं। और एक अलग वर्णमाला की बोर्ड पर स्विच करने की मजबूरी भी होती है जिसका सरल तरीका यह है कि आप अंग्रेज़ी की बोर्ड का इस्तेमाल करते हुए अपनी भाषा के शब्दों में संचार करें और इस तरह अंग्रेजी फिर जबरदस्ती हमारे जीवन में आ जाती है |इस तरह हम अक्सर अंग्रेजी भाषा को  डिफ़ॉल्ट भाषा बनाये रखने का निर्णय लेते हैं।
QWERTY टाइपराइटर ले आउट अमेरिकी समाचार पत्र के संपादक क्रिस्टोफर लैथम शोल्स द्वारा बनाया गया थाऔर इस  सॉफ्टवेयर को निश्चित रूप से ऐसे किसी व्यक्ति द्वारा कोड किया गया होगा जिसकी मात्र भाषा अंग्रेजी नहीं होगी |क्योंकि  ज्यादातर सोफ्टवेयर  कंपनियों के कोडर्स गैर अंग्रेजी प्रष्ठभूमि से आते हैं | अमेरिका के जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2018 की रिपोर्ट में पाया गया कि 71% सिलिकॉन वैली के कार्यकर्ता विदेशी हैं।यनि इस तकनीक को बनाने वाले बहुत सारे लोग खुद बहुभाषी हैंतो ऐसी समस्याएं क्यों बनी रहती हैं?ऐसा इसलिए क्योंकि सूचना-प्रौद्योगिकी उद्योग और इंटरनेट पर एक आभासी अंग्रेजी भाषा का साम्राज्य है। गूगल के आंकड़ों के मुताबिकअभी देश में अंग्रेजी भाषा समझने वालों की संख्या 19.8 करोड़ हैऔर इसमें से ज्यादातर लोग इंटरनेट से जुड़े हुए हैं। तथ्य यह भी है कि भारत में इंटरनेट बाजार का विस्तार इसलिए ठहर-सा गया हैक्योंकि सामग्रियां अंग्रेजी में हैं। आंकड़े बताते हैं कि इंटरनेट पर 55.8 प्रतिशत सामग्री अंग्रेजी में हैजबकि दुनिया की पांच प्रतिशत से कम आबादी अंग्रेजी का इस्तेमाल अपनी प्रथम भाषा के रूप में करती हैऔर दुनिया के मात्र 21 प्रतिशत लोग ही अंग्रेजी की समझ रखते हैं। इसके बरक्स अरबी या हिंदी जैसी भाषाओं मेंजो दुनिया में बड़े पैमाने पर बोली जाती हैंइंटरनेट सामग्री क्रमशः 0.8 और 0.1 प्रतिशत ही उपलब्ध है। बीते कुछ वर्षों में इंटरनेट और विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स जिस तरह लोगों की अभिव्यक्तिआशाओं और अपेक्षाओं का माध्यम बनकर उभरी हैंवह उल्लेखनीय जरूर हैमगर भारत की भाषाओं में जैसी विविधता हैवह इंटरनेट में नहीं दिखती।आज 400 मिलियन भारतीय अंग्रेजी भाषा की बजाय हिंदी भाषा की ज्यादा समझ रखते हैं लिहाजा भारत में इंटरनेट को तभी गति दी जा सकती हैजब इसकी अधिकतर सामग्री हिंदी समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में हो.आज जानकारी का उत्तम स्रोत कहे जाने वाले प्रोजेक्ट विकीपिडिया पर तकरीबन पेज 22000 हिंदी भाषा में हैं ताकि भारतीय यूजर्स इसका उपयोग कर सकें। भारत में लोगों को इंटरनेट पर लाने का सबसे अच्छा तरीका है उनकी पसंद का कंटेंट बनाना यानि कि भारतीय भाषाओं को इंटरनेट के मानचित्र पर  लाना.  इंटरनेट उपभोक्ताओं की यह रफ्तार तभी बरकरार रहेगीजब इंटरनेट सर्च और सुगम बनेगा। यानी हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को इंटरनेट पर बढ़ावा देना होगातभी गैर अंग्रेजी भाषी लोग इंटरनेट से ज्यादा जुड़ेंगे।उपयोगकर्ता तेजी से कीबोर्ड का उपयोग करने के बजाय वॉयस इनपुट का उपयोग करना शुरू कर रहे हैं। के पी सी बी इंटरनेट ट्रेंडस रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 तक गूगल पर सर्च किये जाने वाले परिणाम का पचास प्रतिशत वायस सर्च से किया जायेगा जहाँ अंग्रेजी भाषा की जरुरत नहीं रहेगी |
साल 2013 में गूगल के प्लेटफोर्म पर वायस सर्च की शुद्धता का प्रतिशत अस्सी से कम था लेकिन आज वह नब्बे प्रतिशत के ऊपर चला गया है |चायनीज सर्च इंजन बायडू की शुद्धता का प्रतिशत पंचानबे है जिस दिन यह नियानाबे से ऊपर हो जायेगा उस दिन इंटरनेट पर शब्दों की बजाय ध्वनी का राज होगा |गूगल और अमेजन के वायस सर्च स्पीकर पहले से ही बाजार में आ चुके हैं |सर्चइंजनलैंड वेबसाईट के मुताबिक़ साल 2008 के मुकाबले साल 2018 में वायस सर्च में पैंतीस गुना वृद्धि हुई है |साल 2008 में पहली बार व्यास सर्च दुनिया के सामने आई थी |इससे बहुभाषी अंग्रेजी-केंद्रित की बोर्ड को सीमित करने और अधिक स्वाभाविक रूप से बोलने की सुविधा मिलेगी ।इसका सबसे सरल संस्करण स्पीच-टू-टेक्स्ट फ़ंक्शंस है कई फ़ोन अब आपकी आवाज़ को टेक्स्टवर्ड द्वारा शब्द में अनुवाद करने के लिए उपयोग करते हैं। मशीन लर्निंग कंप्यूटिंग पावर और नेचुरल लेंगुआज प्रोसेसिंग  (एनएलपी) का उपयोग करते हुएइनमें से कई प्रौद्योगिकियां यह पता लगाने में सक्षम हैं कि आप किस भाषा में संवाद कर रहे हैं |ये नए एनएलपी एल्गोरिदम एक विशिष्ट भाषा से स्वतंत्र हैंवे स्वयं किसी भाषा को जाने  बिना विभिन्न मानव  भाषा से विश्लेषणसमझ और अर्थ प्राप्त करते हैं। एल्गोरिथ्म जल्दी से यह बता सकता है कि आप किस भाषा में बात कर रहे हैंजिसका अर्थ है कि आप किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की  सेटिंग्स बदलने के लिए स्पष्ट रूप से पूछने की आवश्यकता के बिना एक से दूसरी भाषा में स्विच कर सकते हैं।गूगल ने हाल ही में अपने गूगल असिस्टेंट का एक नया संस्करण जारी किया जो एक ही समय में दो भाषा का प्रबंधन करने में सक्षम है। उपयोगकर्ता इन छ: भाषाओं से चुनाव  सकते हैं- जिनमें अंग्रेजीस्पेनिशफ्रेंचजर्मनइटेलियन और जापानी— शामिल है |गूगल भविष्य में और भाषाओं को जोड़ने का वादा करता  हैजिनमें एक साथ ही साथ तीन भाषाओं को प्रबंधित करने की क्षमता रहेगी । अमेज़न जैसी अन्य कंपनियों भी अपने नए उत्पादों के लिए ऐसी बहुभाषी सुविधाओं को जारी करने की बात कही  है।
ध्वनि  तकनीकों का आगमन डिजिटल भाषा को कम करने और बहुभाषी लोगों को लाभ पहुंचाना शुरू करेगा यहां तक कि प्रसिद्ध टीवी सीरियल स्टार ट्रेक के युनिवर्सल ट्रांसलेटर  जैसे उपकरणों के की अवधारणा अब विज्ञान कथा नहीं रही सॉर्केनेक्स्ट का  पॉकेटॉक चौहत्तर भाषाओं का अनुवाद करने में सक्षम होने का दावा करता है | वीवर्सली लैब्स का पायलट बयालीस विभिन्न बोलियों में पंद्रह  भाषाओं का प्रबंधन कर सकता हैऔर चीनी फर्म आई फ्लाय्तेक ( iFlytek )ने अपने अनुवादक के दूसरे संस्करण की घोषणा की हैजो 63 भाषाओं से अनुवाद करने में सक्षम है। आज 6,500 बोली जाने वाली भाषाओं के साथहम अभी भी एक सार्वभौमिक अनुवादक से थोड़ी ही दूर हैं ये रुझान दर्शाते हैं कि भारत नेट युग की अगली पीढ़ी में प्रवेश करने वाला है जहाँ सर्च इंजन भारत की स्थानीयता को ध्यान में रखकर खोज प्रोग्राम विकसित करेंगे और गूगल ने स्पीच रेकग्नीशन टेक्नीक पर आधारित वायस सर्च की शुरुवात की है जो भारत में सर्च के पूरे परिद्रश्य को बदल देगी.स्पीच रेकग्नीशन तकनीक  लोगों को इंटरनेट के इस्तेमाल के लिए किसी भाषा को जानने की अनिवार्यता खत्म कर देगी वहीं बढते स्मार्ट फोन हर हाथ में इंटरनेट पहले ही पहुंचा रहे हैं |
दैनिक जागरण में 09/05/2019 को प्रकाशित 

3 comments:

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