विषय कोई भी हो चाहे इतिहास, भूगोल गणित या
फिर साहित्य बगैर रेखाओं के इनका कोई अस्तित्व नहीं है अब देखिये ना लिपि या
स्क्रिप्ट भी तो कुछ रेखाओं का कॉम्बिनेशन है यानि दुनिया को समझने के लिए हमें
रेखाओं की जरुरत है. इतिहास में समयरेखा है तो भूगोल में अक्षांश और भूमध्य जैसी
रेखाएं. कॉपियों में लिखने का अभ्यास पहले लाईनदार पन्नों से होता है बाद में जब
हम अभ्यस्त हो जाते हैं तो उनकी जगह सफ़ेद पन्ने ले लेते है और तब हम कितनी भी
जल्दी क्यूँ ना लिखें शब्द अपनी जगह से नहीं भागते. वे उसी तरह लिखें जाते हैं
जैसे हम लाईनदार कॉपियों में लिखते हैं.
क्यूँ कुछ तस्वीर साफ़ हो रही है.जीवन में इन रेखाओं का
कितना बड़ा दायरा है वो जीवन की रेखा से लेकर गरीबी रेखा तक देखा और समझा जा सकता
है. जीवन में स्वछंदता और उन्मुक्तता मौज मस्ती अच्छी है पर उसकी एक सीमा
होनी चाहिए और इस रेखा को हमें ही खींचना चाहिए. त्यौहार हमें जश्न मनाने का
जहाँ मौका देते हैं. वहीं ये भी बताते हैं कि जीवन महज मौजमस्ती का नाम नहीं
बल्कि समाज में हमारा सकारात्मक योगदान भी है.महत्वपूर्ण है कि ये बात
कोई दूसरा हमें ना बताये क्योंकि सेल्फ रेग्युलेशन,खुद से ही
आता है और यही सेल्फ रेग्युलेशन जो हमें अनुशासित करता है.जब हम दूसरे की सीमाओं
का सम्मान करेंगे तो लोग खुद ब खुद हमें अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र छोड़
देंगे पर हम ये सोचें कि हम सबके बारे में कुछ भी गॉसिप कर सकते हैं पर कोई हमारे
बारे में कोई कुछ नहीं बोलेगा ऐसा होना मुश्किल है. सफल होने की कोई सीमा नहीं है
पर ख्वाब अगर हकीकत के आइने में देखें जाएँ तो उनके सफल होने की गुंजाईश ज्यादा
होती है. मतलब अपनी सीमाओं को जानकर उसके हिसाब से जब योजनाएं बनाई जाती हैं तो वो
निश्चित रूप से सफल होती हैं. तो मुझे तो अपनी सीमाओं का अंदाजा है और अपनी
जीवन रेखा को इसी तरह बना रहा हूँ कि मेरी जिंदगी के कुछ मायने निकले पर आप क्या
कर रहे हैं यह जरुर बताइयेगा.
प्रभात खबर में 05/04/2022 को प्रकाशित
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