हर साल की तरह शहर के कैम्पस एक बार फिर गुलजार हैं| जिन जिन को कॉलेज में दाखिला लेना था वो सब प्रवेश ले चुके हैं पढ़ाई शुरू हो गयी है| छात्र छात्राओं के चेहरे देखिये तो न जाने कितने भाव मिलेंगे|किसी का चेहरा उमंगों से लबरेज है तो किसी की आँखें भविष्य के सुनहरे सपने बुन रही हैं|स्कूल अब इतिहास है नया कैम्पस बाहें पसार कर आप का स्वागत कर रहा है|दिल उम्मीदों भरे तराने गा रहा है|याद रखिये ये पल आपकी जिंदगी के सबसे यादगार पलों में से एक होंगे |भले ही इसका पता अभी आपको न चलें पर जब कल आप इस कैम्पस से विदा होंगे तब आपको एहसास होगा कि आप क्या चीज पीछे छोड़ आये हैं| पढने लिखने और कुछ सीखने की जगह है कैम्पस,कैम्पस के दिन बोले तो ख्वाब,आजादी, उमंगों और हसरतों को थोड़ा सा अगर आपस में मिला दिया जाए तो जो पहला ख्याल आपके दिल में आ रहा होगा वो अपने कैम्पस या कॉलेज के दिनों का ही आएगा| वही कैम्पस जहाँ कभी मस्ती की पाठशाला सजती है तो कभी किसी लेक्चर से आपका जीवन हमेशा के लिए बदल जाता है |बात बदलाव की हो रही है तो हमारे कैम्पस भी इस बदलाव से कहाँ बच सके और कैम्पस ही क्यूँ हम सबका जीवन भी तो कितनी तेजी से बदल रहा है|अब सोचिये न कोई ज्यादा पुरानी बात तो है नहीं जब आप कॉपी किताब से भरे बैग को टाँगे स्कूल की ओर चल पड़ते थे पर कैम्पस में तो बस एक नोटबुक ही काफी है,रोज किताबें ढोने का झंझट खत्म, सी.डब्ल्यू(कक्षाकार्य)और एच.डब्ल्यू(गृहकार्य) अब इतिहास हैं| खड़िया डस्टर की जगह व्हाईट बोर्ड, मार्कर आ गए हैं क्लास रूम स्मार्ट हो गए हैं जहाँ पढ़ाई आडिओ वीडिओ के साथ होती है|
अमर उजाला में 8/09/14 को प्रकाशित
11 comments:
there is a vast difference between college life and school life. we welcome all tha changes that come in our life.
lucky to be a NEXT GEN student
shayad ye sab cheeze is liye ithiyas ho jati hai ki jab gam ke badal ap ko charo taraf se ghere to un muskurate palo ko yad karke apko khusiyo ka sahara mil sake...
With this running time our school change to college n college to office . Time to time more challenges BT thing remain with us is our memorise......
Changes n challenges ko accept karna hi zindagi ka naam .
School n college days are d most memorable and loveable days of lyf... Campuses r truely 'Masti ki Paatshala' where v cherish,dream,learn soo many things with our teachers n friends... Technological advancement has made campuses hitech nd students lyf easier..
Sch me shl n clg dayz k bat hi kuch aur thi but univrcty me nye dost bne or khwabo me khwahisho k rang bhar hqiqat bnane ka mouqa milega or bahut kuch seekhne ko b...u b kahte h seekhne ko mile to dushman re seekhna chahiye...q???aditiverma
I think one of my favorite memory of my school days is writing on the black board and trying to be the first one to clean it after the teacher leaves. Now we have smart classes and it's good we are progressing but I think this new generation is seriously missing out on something as fun as chalk. Sometimes we'd use chalk to dirty our friend's uniform for fun. Chasing one another between lessons trying to scribble on another's tunic. I suppose nobody would dare to do that with a white board marker!
School and college days both have a special place in our mind's memory lane. Where in school our best friend was a classmate, in college the role of a best friend is played by a teacher!
Deepshikha Seymour
pravasi pachhiyo ki tarah campus hai jisme kuch achhi aur kuch buri chije hoti hai jisme hane achhayi ko lena chahiye.
सर ये लेख मेरे लखनऊ विश्वविद्यालय मे बिताए स्नातक के 3 साल की यादों को ताजा कर गया। अब परास्नातक को एंजॉय कर रहे हैं। आप सभी गुरुजनों का लैक्चर जीवन को बदलाव के रास्ते पर ले जा रहा है।हम धन्य हैं आप जैसा गुरु पाकर। ये आगे के 2 साल हमारे अनुभवो के लिए महत्वपूर्ण होने वाले है ... धन्यवाद सर ।
सुशील कुमार
MJMC 1st SEMESTER
sir mara b.j.m.c injoyfull raha but m.j.m.c fulli enjoyment rahega mari life ka compus is the best
Your blog has taken me back to my college days when the only aim was to enjoy life and the freedom that came with the college life. Campus not only helped me grow as a person but gifted me some of the best people who are friends for life. The cutting chai, samosa and those long gossip sessions are still fresh in my memory. Thanks for writing about the campus life and taking me back through the memory lane.
आपने तो हमारे 3 साल याद दिला दिए । मैं और मेरे मित्र भी मस्ती की पाठशाला किया करते थे और जहाँ ज्ञान मिलता था हम वही मिलते थे फिर वो हमारा सब्जेक्ट हो या ना हो ।।
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