Sunday, January 20, 2019

मेरी किताब "यायावरी की कहानियां :लौट के बताता हूँ "

लेखक के बारे में
डॉ मुकुल श्रीवास्तव: एसोशियेट प्रोफ़ेसर और  विभागाध्यक्ष  पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागलखनऊ विश्वविद्यालय  , पिछले उन्नीस  वर्ष से पत्रकारिता शिक्षण में संलग्न हैं |वे अब तक पांच  पुस्तकें लिख चुके हैं इसके अतिरिक्त तीन किताबों का  अनुवाद भी किया है ,जिसमें  नोबेल  पुरूस्कार विजेता  वी एस  नायपॉल की  प्रसिद्ध  पुस्तक  "एन एरिया  ऑफ़ डार्कनेस " भी  शामिल है डॉ श्रीवास्तव की पहली पुस्तक "मानवाधिकार और मीडिया "को मानवाधिकार आयोग का राष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त हुआ है |वे  इटली ,अमेरिका और इंग्लैण्ड का विदेश दौरा कर चुके हैं |उनके लेख भारत के लगभग सभी ख्यातिलब्ध हिंदी राष्ट्रीय दैनिकों के सम्पादकीय पेज पर छपते रहते हैं जिसमें आई नेक्स्ट/दैनिक जागरणहिन्दुस्तानअमर उजाला राष्ट्रीय सहारा ,जनसत्ताजनसंदेश टाईम्स ,डेली न्यूज़ एक्टीविस्टआदि  | पांच वर्षों तक वे एक स्वतंत्र पत्रकार के तौर  बी बी सी हिंदी से भी जुड़े हुए रहे हैं |डिजीटल स्टोरी टेलिंग के रूप में आपकी बनाई फिल्म सीधी बात नो बकवास को अमेरिका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से सराहना प्राप्त हुई है |समाचार पत्रिका इंडिया टुडे (अंग्रेजी अक्तूबर 2010 संस्करण  )के पैंतीस वर्ष पूरे होने पर छापे गए विशेषांक में पूरे भारत से पैंतीस ऐसे युवाओं में चुने गए जो अपने तरीके से देश बदल रहे हैं |इनके ब्लॉग मुकुल मीडिया को भी काफी सराहा जाता है |यात्रा वृतांत ,न्यू मीडिया और इंटरनेट जैसे विषयों पर लिखना पढ़ना पसंद है | डॉ  श्रीवास्तव   दस  वृत्त चित्रों का   निर्देशन  कर चुके  हैं  |

किताब के बारे में


आदिकाल से यात्रा मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति रही है। अज्ञात के प्रति मनुष्य के मन में स्वाभाविक जिज्ञासा है
जो उसे नए और अनदेखे स्थानों की यात्रा के लिए प्रेरित करती है। असल में यात्राएं तो आज की दुनिया में सभी करते हैं पर यात्राओं को लिखने के लिए यात्रा को जीना बहुत जरूरी है। भारत जैसे विविधता भी वाले देश में यात्रा वृतांत लिखने की बहुत समृद्ध परंपरा नहीं रही है। लेकिन इंटरनेट और सोशल मीडिया के आगमन ने यात्रा वृतांत को एक विधा के रूप में जहां लोकप्रिय बनाया है वहीं पाठकों को पढ़ने के लिए नया विकल्प भी दिया है। प्रस्तुत पुस्तक लेखक के देश और विदेश में घूमे गए स्थानों के बारे में ना केवल जानकारी देती है बल्कि एक तरह से शब्द चित्रों का निर्माण भी करती है। पुस्तक जम्मू कश्मीर राज्य के तीनों हिस्सों को समेटती है। जिसमें जम्मूकश्मीर घाटी और लद्दाख का हिस्सा शामिल है वहीं पूर्वोत्तर भारत के सिकिक्म की यात्रा के अलावा  उदयपुर (राजस्थान )और टिहरीयात्रा भी शामिल है इसके अतिरिक्त इटलीअमेरिकाऔर इंग्लैंड के यात्रा वृतांत भी है। यह पुस्तक पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों,शोधार्थियों के अलावा उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण होगी जिन्हें यात्राओं के बारे में पढ़ने का शौक है।
16/09/2019 को नवभारत टाईम्स में प्रकाशित 
हिदुस्तान लखनऊ संस्करण में 21/05/2019 को प्रकाशित समीक्षा 


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द हिन्दू मे 19/04/19 को प्रकाशित समीक्षा 













दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण 17/11/2019 को प्रकाशित 

1 comment:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (21-01-2019) को "पहन पीत परिधान" (चर्चा अंक-3223) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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