Tuesday, January 22, 2019

अपनी प्लानिंग के साथ चलिए

मैं काफी दिनों से कुछ लिखने का प्लान कर रहा था पर क्या लिखूं समझ नहीं पा रहा था. वैसे प्लान बड़ा इंट्रेस्टिंग शब्द है.आज प्लान को बगैर प्लान किये हुए समझने की कोशिश करते हैं. वैसे भी आजकल प्लानिंग का ज़माना है,वो चाहे फाइनेंसियल प्लानिंग हो या फैमली, प्लान तो हम सब करते हैं कुछ न कुछ.आपने भी तो प्लान   किया होगा  कि सुबह उठकर अखबार के इस कॉलम को पढना है.मेरे एक मित्र कहते हैं कि इन्सान  प्लानिंग ही कर सकता है उसका एप्रूवल ऊपर वाले के हाथ होता है.सच ही है न अब देखिये न हमारे हाथ में वास्तव में कुछ भी नहीं है. हम लोग तो बस कोशिश ही कर सकते हैं.भाई हम सब अपनी ज़िन्दगी में कितने प्लान बनाते हैं पर सब थोड़ी न पूरे होते हैं पर हर प्लानिंग का कोई न कोई बेस जरुर होता है.
जो प्लानिंग का आधार  नहीं बनाते उन्हें डे ड्रीमर कहते हैं जो सिर्फ योजनाएं बनाते रहते हैं पर प्रैक्टिस में कुछ नहीं कर पाते.अब मोबाईल को ही लीजिए कम्पनी के प्लान बहुत सारे होते हैं पर हम जरुरत और जेब के हिसाब से अपना प्लान चुनते हैं, न कि दूसरों की देखा देखी.मोबाईल पर अगर इंटरनेट चलाना है या चैट करनी है, तभी हमें डाटा प्लान की जरुरत पड़ेगी पर अगर इंटरनेट चलाना है तो स्मार्ट फोन लेना पड़ेगा, नहीं तो डाटा प्लान लेने का कोई मतलब नहीं है. प्लानिंग कोई भी हो सब एक दूसरे से इंटर लिंक्ड ही होती हैं अगर आपने फैमिली की प्लानिंग की तो फाइनेंसियल प्लानिंग का कुछ हिस्सा अपने आप हो जायेगा.भाई बच्चे कम तो उनपर होने वाला खर्चा कम मतलब बचत ज्यादा.तो ये बात तो साबित  हो गयी कि प्लानिंग करनी चाहिए पर कैसे की जाए मामला यही महत्वपूर्ण है.
वैसे मैंने अक्सर देखा है कि लोग कॉल या मेसेज न कर पाने का कारण बैलेंस का न होना बताते हैं.ऐसा कभी कभार होता है तो चलेगा पर ऐसा अगर अक्सर हो रहा है तो मामला गडबड है.कभी आपने सोचा कि ऐसा क्यों होता है इसके दो कारण हो सकते हैं या तो आपकी प्लानिंग ठीक नहीं है या आपकी प्राथमिकता में फोन रीचार्ज करना उतना जरूरी नहीं है.अगर आप पढ़ाई कर रहे हैं तो लेट नाईट चैट प्लान आपके किसी काम का नहीं,अब अगर सस्ते के चक्कर में मोबाईल का लेट नाईट चैट प्लान ले लेंगे तो जाहिर आपके बाकी के प्लान जिसमें पढ़ाई और भविष्य  के और प्लान गड़बड़ायेंगे. यानि या तो अपने आपको बदलिए या अपने प्लान को.प्लानिंग करते वक्त अपनी जरुरत और सीमाओं के बीच बैलेंस जरुर बनाइये. ये बात उतनी आसान भी नहीं है कई बार हमारे प्लान की सफलता या विफलता और  फैक्टर्स पर भी निर्भर करता है, और जब ऐसा होता है तो समझ लीजिए कि आपके लाख चाहने के बाद भी ऊपर वाला आपके प्लान को पास  नहीं कर रहा है, पर इसका मतलब न निकाल लीजिए कि आपके चाहने से क्या होता है,या प्लान करने से क्या फायदा.प्लान कीजिये परिस्थितियों से जूझिये सफल होते हैं तो उसका मजा लीजिए और अगर फेल हो जाते हैं तो फिर से कोशिश कीजिये.
अपनी प्लानिंग को विश्लेषित कीजिये कि गडबड कहाँ  हुई.आखिर हम अपने सपनों को इतनी आसानी से थोड़ी न छोड़ सकते है पर उन सपनों पर वास्तविकता से सम्बन्ध जरुर रखें.वास्तविकता से मतलब आप अपनी आय  के हिसाब से ही बचत करते हैं कभी ऐसा नहीं हो सकता कि आपकी आय  कम हो और बचत ज्यादातो कुछ भी प्लान करते वक्त इस बात का एहसास जरुर रखिये कि आप जो कुछ सोच रहे हैं वो कितना वास्तविकता के कितना करीब है.अगर आपकी देर रात में पढ़ने की आदत है तो दिन में पढ़ने की प्लानिंग मत करिये दिन में बाकी के काम के साथ थोड़ा सो भी लीजिए और रात में पढ़ाई  कीजिये.तो मैं आपको छोड़े जा रहा हूँ कुछ नया प्लान करने के लिए क्यूंकि आने वाला दिन आज से बेहतर इसी प्लान के साथ हो सकता है.
प्रभात खबर में 22/01/19 को प्रकाशित


1 comment:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (23-01-2019) को "अब G+ खत्म होने वाला है" (चर्चा अंक-3225) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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