जब चटकी कली कोई
जब महका कोई उपवन
मदमस्त बहती चली जब पवन
तुम्हारी याद से सुरभित हुआ मेरा मन
भंवरों ने किया जब फूलों का आलिंगन
नीले गगन से करती जब धरती स्नेह मिलन
मेघ बूंदों ने चूमा जब वसुधा आँगन
तुम्हारी याद में भीगे मेरे चितवन
चूम चली जब किसी पुष्प को महकी पवन
किया किसी खग ने जब कहीं प्रणय निवेदन
नयन मेरे देखें जब कोई सुहाना स्वप्न
तुम्हारी याद में धडके मेरा मन
महकता आँचल के जनवरी ९६ अंक में प्रकाशित
जब महका कोई उपवन
मदमस्त बहती चली जब पवन
तुम्हारी याद से सुरभित हुआ मेरा मन
भंवरों ने किया जब फूलों का आलिंगन
नीले गगन से करती जब धरती स्नेह मिलन
मेघ बूंदों ने चूमा जब वसुधा आँगन
तुम्हारी याद में भीगे मेरे चितवन
चूम चली जब किसी पुष्प को महकी पवन
किया किसी खग ने जब कहीं प्रणय निवेदन
नयन मेरे देखें जब कोई सुहाना स्वप्न
तुम्हारी याद में धडके मेरा मन
महकता आँचल के जनवरी ९६ अंक में प्रकाशित
11 comments:
बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.
.
सादर
अच्छा लिखा है मुकुल जी.वसंत पंचमी की शुभकामनाए.
जब गुरु जी इसको महकता आँचल में प्रकाशित कराए है तो...
टिप्पड़ी भी जरूरी है....
वैसे ये यादे ही ऐसी साथी है जो किसी भी सुख या दुःख के समय किसी विशेष की याद दिलाती है....
@तुम्हारी याद में धडके मेरा मन...
अच्छा लिखा है.
@यशवंत ,मीनू जी , मनीष और मनोज जी आभार
sir ye kis par li8khi hai kisi sathi ki yaad aa gaye kya.jab sukh dukh aate hai to kisi ache aur kareebi dost ki yaad dilati hai.
My URL/ virendracom11188.blogspot.com
behtarin...........
Great lines.
sir ap mehakta anchal k liye b likhte h..........mai b padhti hu and very nice poem sir
sir mahakta aanchal mein pabandi se padhti hun lekin aapka lekh kabhi nahi dekha..shayad meien dhyan nahi diya ya phr ab tak mein sirf kahani padh ke rakh deti thi ab january wala addition nikal ke padhungi...
waise nice poem..
goold lines..
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