Tuesday, February 8, 2011

फिर कविता लिखी न गयी

ज्यों मधुर स्वप्न बिना हर नींद अधूरी
त्यों मधुर भाव बिना हर प्रीत अधूरी
क्योंकि
कुछ भावों के आगे शब्द तनिक फीके लगते हैं
शब्द बिना अर्थ किंचित रीते लगते हैं
इसलिए
प्रीत की बूंदें छलकाने को
मीठी भावनाएं दर्शाने को
इन शब्दों में कई कल्पनाएँ समावेशित हैं
कुछ हर्षित है
कुछ पुलकित हैं
कुछ आवेशित हैं
कुछ ओस जितनी कोमल हैं
कुछ गंगा जितनी निर्मल हैं
कुछ हिरनी जितनी चंचल हैं
इनको न कभी ह्रदय से जुदा कीजियेगा
जब भी हो कहीं आप असफल
चुपके से कोई भाव चुरा लीजियेगा
हम भी होंगे भावों में
साथ तुम्हारे आयेंगे
फिर पैर तले मंजिल क्या
हम आसमान ले आयेंगे


"इस कविता के बाद कोई कविता न लिख पाया न जाने क्यों "

15 comments:

दस्तक said...

जब भी हो कहीं आप असफल
चुपके से कोई भाव चुरा लीजियेगा..
bht acchi lines hai sir..kafi prerna dayak hain... itni acchi kavita likhne ke baad kavita kyun nhi likhi aapne..??

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

आपका भी जवाब नहीं, कविता पढकर सचमुच मज़ा आ गया।

---------
समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्रकृति की सूक्ष्‍म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।

Meenu Khare said...

इस मानसिक अवस्था को मैंने भी कभी देखा था.उस दिन मैंने भी एक कविता लिखी थी. आज आपकी कविता पढ़ कर अपनी मानसिक स्थिति के साथ अपनी कविता भी याद आई.

Udan Tashtari said...

ओह!!

कि फिर तुम लिख नहीं पाये

कि हम फिर पढ़ नहीं पाये.........

Udan Tashtari said...

आपको एवं आपके परिवार को बसंत पंचमी पर हार्दिक शुभकामनाएं.

सादर

समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/

Mukul said...

@इशा ,जाकिर भाई आभार
@मीनू जी दर्द का रिश्ता ऐसा ही होता है
@समीर भाई आपको और आपके परिवार को शुभ् कामनाएं

deepudarshan said...

sir aapke kabita aur blog ki ruprekha dono hi ek nye andaj me hai.........

डॉ. मनोज मिश्र said...

आप में रचना प्रस्फुरण का सहज गुण है कृपया इसे जीवंत रखें.

Mukul said...

@दीपू ,मनोज जी आभार

virendra kumar veer said...

kuch bhi ho sir aap likhate bahut acha hain.chahe o poem ho ya article dono hi bahut ache hain.

CHANDNI GULATI said...

sirji behtarin shabdo ka prayog....

archana chaturvedi said...

Kavita aachi hayi hi par ye dobara kavita likhi na gei kya matlab samjhe me nai aaya

sana said...

sir itni pyari kavita k bad apne kavitaye q ni likhi .........u must write more lovely poems like this

ARUSHIVERMA said...

Inspiring lines.

pragati said...

sir bht hi acchi poem h..

पसंद आया हो तो