जब चटकी कली कोई
जब महका कोई उपवन
मदमस्त बहती चली जब पवन
तुम्हारी याद से सुरभित हुआ मेरा मन
भंवरों ने किया जब फूलों का आलिंगन
नीले गगन से करती जब धरती स्नेह मिलन
मेघ बूंदों ने चूमा जब वसुधा आँगन
तुम्हारी याद में भीगे मेरे चितवन
चूम चली जब किसी पुष्प को महकी पवन
किया किसी खग ने जब कहीं प्रणय निवेदन
नयन मेरे देखें जब कोई सुहाना स्वप्न
तुम्हारी याद में धडके मेरा मन
महकता आँचल के जनवरी ९६ अंक में प्रकाशित
जब महका कोई उपवन
मदमस्त बहती चली जब पवन
तुम्हारी याद से सुरभित हुआ मेरा मन
भंवरों ने किया जब फूलों का आलिंगन
नीले गगन से करती जब धरती स्नेह मिलन
मेघ बूंदों ने चूमा जब वसुधा आँगन
तुम्हारी याद में भीगे मेरे चितवन
चूम चली जब किसी पुष्प को महकी पवन
किया किसी खग ने जब कहीं प्रणय निवेदन
नयन मेरे देखें जब कोई सुहाना स्वप्न
तुम्हारी याद में धडके मेरा मन
महकता आँचल के जनवरी ९६ अंक में प्रकाशित
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