अगर आप सोशल मीडिया प्रयोगकर्ता हैं तो
आप दिन भर में कई बार ऐसी तस्वीरों से वाबस्ता होंगे जब लोग अजीब अजीब चेहरों के
साथ खुद ही अपनी तस्वीरें पोस्ट करते दिखेंगे यह क्रिया अगर आज से ज्यादा नहीं दस
साल पहले हो रही होती तो ऐसे लोगों को आप किसी मनोचिकित्सक के पास जाने की सलाह
देते पर आज यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसे हम सेल्फी लेना कहते हैं और इसमें कुछ
भी असामान्य नहीं है |समाजशास्त्रीय
नजरिये किसी चिंतक ने कभी यह नहीं सोचा होगा कि मानव सभ्यता के इतिहास में एक ऐसा
वक्त आएगा जब इंसान इतना अकेला पड़ जाएगा कि उसे अपनी तस्वीरें खुद ही खींचनी
पड़ेंगी इसका एक विश्लेषण यह भी हो सकता है कि ऐसा समाज आत्मनिर्भरता की पराकाष्ठा
की और अग्रसर है जब इंसान सिर्फ कहने को एक सामाजिक प्राणी भर बचा है सच यह है कि
वह परले दर्जे के एक आत्मकेंद्रित जैविक रूप से मानव में तब्दील होता जा रहा
है |जी हाँ यह सेल्फी युग है और इसकी
एक सबसे बड़ी चुनौती है कि यह लोगों को आत्मकेंद्रित बना रही है जिसमें स्मार्ट फोन का बड़ा
योगदान है | हम भले ही हर वक्त दुनिया से जुड़े हों
पर अपने आस पास से बेखबर हैं |इसी आत्मकेंद्रित प्रवृत्ति का एक रूप है “सेल्फी” मतलब खुद से अपने आप की तस्वीर लेना |यह प्रयोग ज्यादातर लोग अपने स्मार्ट फोन से करते हैं| विचित्र भाब भंगिमा बनाये हुए
लोगों से दुनिया भर की सोशल नेटवर्किंग साईट्स भरी हुई हैं और यह रोग तेजी
से फैलता जा रहा है|औसतन दुनिया भर की सोशल नेटवर्किंग
साईट्स पर पचास मिलीयन सेल्फी पोस्ट की चर्चा की जा रही है |सेल्फी शब्द चर्चा में तब आया जब साल 2013 में ऑक्सफोर्ड
डिक्शनरी ने इस शब्द को वर्ड ऑफ़ दा ईअर के खिताब से नवाजा पर शोध के मुताबिक़
सेल्फी शब्द का प्रयोग साल 2002 में एक ऑस्ट्रेलियन इंटरनेट फोरम में किया गया पर
इसके प्रयोग को गति स्मार्ट फोन के बढ़ते इस्तेमाल के बाद मिली पर भारत जैसे देश
में सेल्फी इन दिनों एक नकारात्मक वजह से चर्चा में है कंटेंट ट्रैकर साईट
प्राईसनोमिक्स के एक शोध के अनुसार दुनिया भर में सेल्फी खींचते वक्त होने वाली
मौतों में भारत दुनिया में पहले स्थान पर है यह शोध इंटरनेट पर साल 2014-15 में
रिपोर्ट किये गए आंकड़ों पर आधारित है इस दौरान सारी दुनिया में सेल्फी खींचते कुल
छियालीस मौतें हुईं जिसमें अकेले भारत में उन्नीस मौतें हुईं वहीं इसी अवधि में
भारत से ज्यादा आबादी वाले देश चीन में सिर्फ एक मौत रिपोर्ट हुई |इन मौतों में मरने वाले व्यक्तियों में से पचहत्तर
प्रतिशत की औसत आयु इक्कीस वर्ष से कम थी |भले ही भारत जैसे विशाल देश के अनुपात में सेल्फी से होने वाली
मौतों का आंकड़ा अन्य दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों से काफी कम है पर यह आंकड़ा कई
सवाल खड़े करता है कि अब वक्त आ गया है जब स्मार्ट फोन हमारे समाजीकरण का अहम्
हिस्सा बन चुके हैं तो इनके प्रयोग का मानकीकरण किया जाए और लोगों को इस बात के
लिए जागरूक किया जाए कि तकनीक का आविष्कार मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए हुआ है
न कि उसे और जटिल बनाने के लिए| संकट इसलिए भी गहरा है क्योंकि
स्मार्ट फोन का ज्यादा इस्तेमाल युवा पीढी कर रही है जो इसके प्रथम उपभोक्ता
भी हैं और उन्हें इसके इस्तेमाल का कोई तरीका विरासत में नहीं मिला है और
परिणाम ज्यादा सेल्फी लेने का शौक और कुछ अनूठा करने के चक्कर में उससे होने वाली
दुर्घटना|मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं ज्यादा
सेल्फी लेना मनोविकार का लक्षण हैं जिसमें व्यक्ति आत्मुघद्ता का शिकार रहता है| मनोचिकित्सकों ने सेल्फियो को तीन
भागों में बांटा है। दिन भर में तीन सेल्फी लेना और उसे सोशल मीडिया में पोस्ट न
करना। इसे बॉर्डर लाइन सेल्फीटिस कहा गया है। दूसरे स्टेज पर एक्यूट आते हैं, जो उतनी
तस्वीरें खींच सोशल मीडिया पर डालते हैं। तीसरे पर क्रोनिक आते हैं। यह प्रक्रिया
छह बार से भी अधिक करते हैं।
स्मार्ट फोन लोगों को जोड़ने के लिए है न कि लोगों से कट कर अपने में सिमटे रहने के लिए | ‘हम’ पर हावी होता यह ‘मैं’ आने वाली पीढ़ियों के लिए कैसा भविष्य छोड़ जाएगा इसका फैसला होना बाकी है |
स्मार्ट फोन लोगों को जोड़ने के लिए है न कि लोगों से कट कर अपने में सिमटे रहने के लिए | ‘हम’ पर हावी होता यह ‘मैं’ आने वाली पीढ़ियों के लिए कैसा भविष्य छोड़ जाएगा इसका फैसला होना बाकी है |
नवोदय टाईम्स दिल्ली में 16/11/16 को प्रकाशित लेख
3 comments:
Rochak ..
भारत जैसे देश में स्मार्ट फ़ोन का दुरुपयोग इंगित करता है कि यदि इस बात पर ध्यान ना दिया गया तो इसका परिणाम बहुत बुरा होगा जिसका साईड इफ़ेक्ट युवाओं पर ही होगा और वह स्वयं ही ज़िम्मेदार होगे ।
क्योंकि तेज़ी से बढ़ते इन्टरनेट के दौर में युवाओं को अपने ओर आकर्षित कर रहा है इन्टर नेट का उपयोग अच्छे और बुरे दोनों के लिए है परन्तु भारत देश में इसका ज़्यादा ग़लत तरीक़े में किया जा रहा है
bharat ek aisa desh hai jahan har dusre insaan key pass smartphone hai lekin vo isska acche se use nhi kar pat aur tabhi isska result bahut bura samney aata hai
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