Tuesday, February 8, 2011

तुम्हारी याद में

जब चटकी कली कोई
जब महका कोई उपवन
मदमस्त बहती चली जब पवन
तुम्हारी याद से सुरभित हुआ मेरा मन
भंवरों ने किया जब फूलों का आलिंगन
नीले गगन से करती जब धरती स्नेह मिलन
मेघ बूंदों ने चूमा जब वसुधा आँगन
तुम्हारी याद में भीगे मेरे चितवन
चूम चली जब किसी पुष्प को महकी पवन
किया किसी खग ने जब कहीं प्रणय निवेदन
नयन मेरे देखें जब कोई सुहाना स्वप्न
तुम्हारी याद में धडके मेरा मन

महकता आँचल के जनवरी ९६ अंक में प्रकाशित 

11 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.
.
सादर

Meenu Khare said...

अच्छा लिखा है मुकुल जी.वसंत पंचमी की शुभकामनाए.

manish said...

जब गुरु जी इसको महकता आँचल में प्रकाशित कराए है तो...
टिप्पड़ी भी जरूरी है....
वैसे ये यादे ही ऐसी साथी है जो किसी भी सुख या दुःख के समय किसी विशेष की याद दिलाती है....

डॉ. मनोज मिश्र said...

@तुम्हारी याद में धडके मेरा मन...
अच्छा लिखा है.

Mukul said...

@यशवंत ,मीनू जी , मनीष और मनोज जी आभार

virendra kumar veer said...

sir ye kis par li8khi hai kisi sathi ki yaad aa gaye kya.jab sukh dukh aate hai to kisi ache aur kareebi dost ki yaad dilati hai.

My URL/ virendracom11188.blogspot.com

CHANDNI GULATI said...

behtarin...........

ARUSHIVERMA said...

Great lines.

sana said...

sir ap mehakta anchal k liye b likhte h..........mai b padhti hu and very nice poem sir

samra said...

sir mahakta aanchal mein pabandi se padhti hun lekin aapka lekh kabhi nahi dekha..shayad meien dhyan nahi diya ya phr ab tak mein sirf kahani padh ke rakh deti thi ab january wala addition nikal ke padhungi...

waise nice poem..

pragati said...

goold lines..

पसंद आया हो तो