समाज के साथ ही हर दौर में विज्ञापनों का रुझान भी बदल जाता है। लेकिन अब जो बदलाव आ रहा है, वह समाज की वजह से कम और तकनीक की वजह से ज्यादा है। विज्ञापन का मामला हमारे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हमारा मीडिया अपना खर्च विज्ञापनों के जरिये ही निकालता है। दूसरे शब्दों में विज्ञापन की आमदनी मीडिया के लिए सब्सिडी का काम करती है। इसलिए विज्ञापनों में बदलाव का एक अर्थ मीडिया के स्वरूप में बदलाव भी है।मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मार्च 2014 तक ऑनलाइन विज्ञापन का बाजार 2,938 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इन ऑनलाइन विज्ञापनों में सर्च, डिस्प्ले, मोबाईल, सोशल मीडिया, ई मेल और वीडियो विज्ञापनों को शामिल किया गया है। ये शुरुवात एक बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही है। अनलाइन विज्ञापन का सबसे बड़ा फायदा है सूचना सामग्री का तुरंत अपने लक्षित समुदाय (टारगेट अडिएंस) तक पहुँच जाना। इसमें समय स्थान की सीमाएं समाप्त हो जाती हैं। परम्परागत विज्ञापन के मुकाबले इनका निर्माण सस्ता भी पड़ता है। ये विज्ञापन टीवी और समाचार पत्र के विज्ञापनों से कईं मायनों में अलग होते हैं। परंपरागत मीडिया के विपरीत ऑनलाइन विज्ञापन पाठक की रुचि के अनुसान पेश किए जाते हैं। एक दूसरा फर्क यह है कि दर्शक/पाठक विज्ञापन की सत्यता की जांच वेब पर कर सकता है और उसकी तुलना अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों से कर सकता है। परंपरागत मीडिया में उपभोक्ताओं को उसी जानकारी पर निर्भर रहना पड़ता था जो उसे विज्ञापनदाता से मिल रही हैं। इंटरनेट पर बहुत से मंच और ब्लॉग वगैरह उपभोक्ताओं के उनके साथ अनुभव की जानकारी भी देते हैं। ऑनलाइन विज्ञापनों की ओर बढ़ता रुझान बता रहा है कि भविष्य के विज्ञापन ज्यादा तथ्यपरकता लिए हुए होंगे और उनकी विश्वसनीयता को जांचा जा सकेगा। साल 2012 में ऑनलाइन विज्ञापनों से कुल 1,750 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी पर मार्च 2013 तक इसी अवधि में 2,260 करोड़ रुपए की आमदनी हुई जो 29 प्रतिशत ज्यादा रही। इसी के साथ डिजीटल मीडिया पर होने वाला खर्च भी धीरे धीरे बढ़ रहा है साल 2005 में जहाँ यह विज्ञापनों पर कुल खर्च का एक प्रतिशत था वहीं 2012 में यह आंकड़ा सात प्रतिशत हो गया।
हालांकि ऑनलाइन विज्ञापनों से शिकायतें भी कम नहीं हैं। खासतौर पर पॉपअप विंडो के रूप में आने वाले विज्ञापनों से जो अक्सर पाठक और दर्शक के लिए बाधा बनते हैं। इन्हें तकनीक से रोका भी जा सकता है जो अंत में विज्ञापन दाता को ही नुकसान पहुंचाता है। कारोबार भले ही बढ़ रहा हो लेकिन इसका स्वरूप अभी निर्माण के दौर में है, इसलिए इसके रास्ते में कईं तरह की बाधाए आएंगी ही।
हिन्दुस्तान में 14/05/13 को प्रकाशित
1 comment:
जैसे-जैसे इंटरनेट का दयरा बढेगा वैसे-वैसे विज्ञापनों का कारोबार बढ़ेगा क्योंकि हर ऐड देने वाला व्यक्ति यही चाहेगा उसका ऐड सभी के मोबाइल स्क्रीन पर ब्लिंग हो ।।
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