तुम यूँ लिखते हो आज तुम्हे बतलाता हूँ हर पल हर क्षण जीवन का तुम एक सोच बनाते हो अपनी मन की अभिव्यक्ति आकार बनाते हो, तुम यूँ लिखते हो.... जब होता हलचल जीवन में जब मचता कोलाहल गगन में, अपने मन के उन भावों का उन सारी आशाओं का उन भाव भंगिमाओं का , एक सजल चित्र बनाते हो तुम क्यूँ लिखते हो आज तुम्हे बतलाता हूँ ......
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तुम यूँ लिखते हो आज तुम्हे बतलाता हूँ
हर पल हर क्षण जीवन का तुम एक सोच बनाते हो
अपनी मन की अभिव्यक्ति आकार बनाते हो,
तुम यूँ लिखते हो....
जब होता हलचल जीवन में
जब मचता कोलाहल गगन में,
अपने मन के उन भावों का
उन सारी आशाओं का
उन भाव भंगिमाओं का ,
एक सजल चित्र बनाते हो
तुम क्यूँ लिखते हो आज तुम्हे बतलाता हूँ ......
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