भले ही भारत की बहुसंख्यक आबादी इन्टरनेट माध्यम से दूर है इन सबके बावजूद भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या दस करोड से ऊपर हो जाना ,अपने आप में यह एक बड़ा बदलाव है .इतनी तो दुनिया के कई विकसित देशों की आबादी नहीं होगी .दस करोड का यह आंकड़ा भारत की डिजीटल साक्षरता का भी आंकडा है .यानि वह आबादी जो पाने कार्य व्यापार व अन्य जरूरतों के लिए इन्टरनेट का इस्तेमाल करती है .पिछले तकरीबन एक दशक से भारत को किसी और चीज ने उतना नहीं बदला, जितना इंटरनेट ने बदल दिया है। रही सही कसर इंटरनेट आधारित फोन यनि स्मार्टफोन ने पूरी कर दी |स्मार्टफोन उपभोक्ताओं के लिहाज से भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है। आईटी क्षेत्र की एक अग्रणी कंपनी सिस्को ने अनुमान लागाया है कि सन २०१९ तक भारत में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या लगभग ६५ करोड़ हो जाएगी। सिस्को के मुताबिक वर्ष २०१४ में मोबाइल डेटा ट्रैफिक ६९ प्रतिशत तक बढ़ा. साथ ही वर्ष २०१४ में विश्व में मोबाइल उपकरणों एवं कनेक्शनों की संख्या बढ़कर ७.४ बिलियन तक पहुँच गयी.स्मार्टफोन की इस बढ़त में ८८ प्रतशित हिस्सेदारी रही और उनकी कुल संख्या बढ़कर ४३९ मिलियन हो गयी |सरकार का डिजीटल इण्डिया कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इससे बहुत सी योजनाओं के वास्तविक कार्यान्वन पर नजर रखी जा सकती है। कई मामलों में नौकरशाही की बाधाओं को भी कम किया जा सकता है।इसे लेकर पिछले कुछ समय में देश में कई तरह के प्रयोग हुए हैं, जो काफी उम्मीद बंधाते हैं। खासकर रेलवे आरक्षण को लेकर जो प्रयोग हुए हैं। देश में ई-कॉमर्स को विस्तार देने और इसमें लोगों का भरोसा कायम करने का श्रेय भारतीय रेलवे को जाता है। इससे कुछ हद तक व्यवस्था में पारदर्शिता भी आई है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण काम हुआ है एसएमएस टिकटिंग का। रेलवे ने एसएमएस को रेल टिकट की मान्यता देकर कागज के अनावश्यक इस्तेमाल से मुक्ति का रास्ता तैयार किया। यह जरूर है कि दूसरे विभागों ने इस सिलसिले को इतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ाया।सरकारी विभागों के ऐप्स की निर्भरता बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि वह आम जनता के लिए कितने उपयोगी साबित होते हैं। हम यह उम्मीद तो करते हैं कि लोगों को इन सब तरीकों से नौकरशाही की बाधाओं से मुक्ति दिलाई जा सकेगी, लेकिन सच यही है कि इन्हें लागू करने का जिम्मा अब भी उसी नौकरशाही के हवाले है। इसी नौकरशाही के कारण ई-गवर्नेंस की सोच एक हद तक पहुंचकर रुक गई। सरकारी विभाग अपनी वेबसाइट बनाकर अपने पुराने रवैये पर लौट आए। अगर हम चाहते हैं कि नया रुझान पूरी तरह कामयाब हो, तो इस रवैये को बदलना सबसे जरूरी है।केंद्र सरकार ही नहीं, कई राज्यों की सरकारें भी इस दिशा में बढ़ रही हैं। इस मामले में रेलवे और डाक विभाग के ऐप्स महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए की पिछली यूपीए सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए सौ से ज्यादा विभागों में मोबाइल गवर्नेंस पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था ।वहीं सरकारी आंकड़ों को सबको उपलब्ध आंकड़ों तक जनता की सर्वसुलभता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय आंकड़ा भागिता और अभिगम्यता नीति (एन डी एस ए पी )2012 का निर्माण भी किया गया था जिसके अनुसार आंकड़ा प्रबंधन की मौजूदा व्यवस्था सरकार के विभिन्न उपक्रमों में संयोजन के हिसाब से उपर्युक्त नहीं है| इसी दिशा में राष्ट्रीय आंकड़ा भागिता और अभिगम्यता नीति को ध्यान में रखते हुए data.gov.in वेबसाईट का निर्माण किया गया है जहाँ सरकार के समस्त विभागों के गैर संवेदनशील आंकड़ों का संग्रहण किया जा रहा है| माना जाता है कि आंकड़ों तक आम जन की पहुँच से प्रशासन में पारदर्शिता बढेगी और उनके तार्किक विश्लेषण से देश में हो रहे सामाजिक आर्थिक बदलाव पर नजर रखते हुए योजनाएं बन सकेंगी | भारत के लिए यह रास्ता महत्वपूर्ण इसलिए हो सकता है कि मोबाइल हैंडसेट अकेला ऐसा माध्यम है, जिससे देश की आबादी के एक बड़े हिस्से तक पहुंचा जा सकता है। यह अकेला ऐसा माध्यम है, जो शहरों और कस्बों की सीमा लांघता हुआ तेजी से दूरदराज के गांवों तक पहुंच गया है। इसके साथ ही देश में कंप्यूटर के मुकाबले मोबाइल पर इंटरनेट सुविधा हासिल करने वालों की संख्या भी बढ़ चुकी है। लोगों के लिए तो यह कई तरह की सुविधाएं हासिल करने का महत्वपूर्ण माध्यम है ही, साथ ही सरकार के लिए भी यह महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।सरकार के डिजीटल इण्डिया कार्यक्रम में अगर एम् गवर्नेंस का प्रयोग होता तो यह ज्यादा लाभकारी होता | गौरतलब है कि सूचना तकनीकी का इस्तेमाल मानव संसाधन की बेहतरी के लिए बहुत बड़ा प्रभाव छोड़ने में असफल रही है माना जाता रहा है कि इंटरनेट का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाएगा और भ्रष्टाचार पर लगाम कसेगा पर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की नयी रिपोर्ट हमारी आँखें खोल देती है जिसमे भारत को 176 देशों में भ्रष्टाचार के मामले में 94 पायदान पर रखा गया है|सूचना क्रांति का शहर केंद्रित विकास देश के सामाजिक आर्थिक ढांचे में डिजीटल डिवाईड को बढ़ावा दे रहा है|भारत की अमीर जनसँख्या का बड़ा तबका शहरों में रहता है जो सूचना प्रौद्योगिकी का ज्यादा इस्तेमाल करता है|उदारीकरण के पश्चात देश में एक नए मध्यम वर्ग का विकास हुआ जिसने उपभोक्ता वस्तुओं की मांग को प्रेरित किया जिसका परिणाम सूचना प्रौद्योगिकी में इस वर्ग के हावी हो जाने के रूप में भी सामने आया देश की शेष सत्तर प्रतिशत जनसँख्या न तो इस प्रक्रिया का लाभ उठा पा रही है और न ही सहभागिता कर पा रही हैभारत जैसे देश में जहाँ मोबाईल इंटरनेट का बेतहाशा इस्तेमाल बढ़ा है वहां ऐसी सुविधा लोगों को और ज्यादा मोबाईल इंटरनेट से जोड़ने के लिए प्रेरित करेगी पर हमें इस तथ्य को भी नहीं भूलना चाहिए कि यहाँ इंटरनेट की आधारभूत संरचना विकसित देशों के मुकाबले काफी पिछड़ी है और इंटरनेट के बाजारीकरण की कोशिशें जारी हैं वहां सरकार का यह प्रयास आम उपभोक्ताओं के इंटरनेट सर्फिंग समय को कितना सुहाना बनाएगा इसका फैसला अभी होना है |इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत की ग्रामीण जनसंख्या का दो प्रतिशत ही इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहा है। यह आंकड़ा इस हिसाब से बहुत कम है क्योंकि इस वक्त ग्रामीण इलाकों के कुल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से अट्ठारह प्रतिशत को इसके इस्तेमाल के लिए दस किलोमीटर से ज्यादा का सफर करना पड़ता है।तकनीक के इस डिजीटल युग में हम अभी भी रोटी कपडा और मकान जैसी मूलभूत समस्याओं के उन्मूलन में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं|
प्रभात खबर में 02/07/15को प्रकाशित
4 comments:
आदर्श जानकारी के साथ लिखा गया लेख...हर बार नया सीखने को मिलता है महसूस होता है हमारी शिक्षा आपके साथ अब भी जारी है..जो किसी सेमेस्टर या वर्ष के कार्यकाल में नहीं बंधी है.
Technologies made many things beautiful for us. it plays important role in betterment of life... But it is useful for those who have purchasing power ... by read this article i came to know many things which i wanted thank u................
A very informative article, sir. Technology has the power to make out lives better and easier. However in a country where a considerable percentage of the population is still untouched from the advancements made in the technological world, things are way more complicated. The first few steps are perhaps the hardest. Making sure that technology such as internet reaches all across the country and ensuring that people know how to use it ( at least a few basic functions) require a lot of time and hard work. Thanks to the digital india campaign, the future seems a bit hopeful. But of course much more needs to be done to make sure that each and every citizen of this nation benefits from this technology and it does not remain restricted to the urban population.
Agree with u sir.. Ye article sir aapka bilkul suite krta hi ki india is a devloping country....soo techqies are most important for urs life for urs devlopment.
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