Tuesday, July 21, 2015

ताकि इस कारोबार को रफ़्तार मिले

भारत में डायरेक्ट सेलिंग की शुरुवात अस्सी के दशक में हुई ,नब्बे के दशक में एमवे,ओरिफ्लेम,एवन जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आगमन से यह परिद्रश्य बदल गया,उसी वक्त मोदीकेयर जैसी भारतीय कम्पनी ने भी वस्तु वितरण व्यसाय के इस नए क्षेत्र में कदम रखा| डायरेक्ट सेलिंग से तात्पर्य ऐसे व्यवसाय से है जिसमें उत्पादक सीधे अपने उत्पाद को ग्राहकों तक खुद या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से पहुंचाता है| फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस समय भारत में 7,200 करोड़ रुपये मूल्य के हेल्थकेयर से जुडी वस्तुओं ,कॉस्मेटिक्स और  घरेलू वस्तुओं का कारोबार प्रतिवर्ष होता है |इन कम्पनियों में विक्रेता या वितरक दो तरह से लाभ अर्जित करते हैं एक तो वे जो सामान खुद बेचते हैं उस पर कमीशन मिलता है |दूसरा वे जिन लोगों को सामान बेचने के लिए भारती करते हैं उनके बेचे गए सामान के कमीशन में भी हिस्सा मिलता है |नब्बे के दशक से साल 2010-11 आते –आते डायरेक्ट सेलिंग का यह कारोबार 27 प्रतिशत की वृधी दर से बाधा लेकिन उचित नियम कानून के अभाव में इसकी वृधि दर घटकर 4.3 प्रतिशत रह गयी |इसकी जड़ में प्राईज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स अधिनियम (पी सी एम् सी एक्ट 1978) चूँकि अभी देश में डायरेक्ट सेलिंग कारोबार के लिए स्पष्ट नियम नहीं हैं इसका फायदा उठा कर फर्जी चिटफंड कम्पनियां डायरेक्ट सेलिंग कारोबार के वैध मॉडल की नक़ल करती हैं |वो चाहे पश्चिम बंगाल का शारदा घोटाला हो या स्पीक एशिया और जापान लाईफ जैसी योजनायें हों जो नक़ल तो डायरेक्ट सेलिंग कारोबार की कर रही थीं पर उनके पीछे न तो पूंजी का आधार था और न ही गुणवत्ता आधारित उत्पाद , डायरेक्ट सेलिंग कम्पनियां जहाँ अपने उत्पाद बेचने पर जोर देती हैं वहीं फर्जी चिट फंड कम्पनियां पिरामिड स्कीम में सारा दबाव नए निवेशक जुटाने पर होता है|जागरूकता की कमी और स्पष्ट दिशा निर्देश के न होने से आम उपभोक्ता ठगी का शिकार हो जाता है वैसे भी पुलिस और सरकार तब तक कोई कार्यवाही नहीं करते जब तक कोई धोखा धड़ी न हो |ऐसी स्थिति का फायदा उठाने वालों के हौसले बुलंद होते हैं और डायरेक्ट सेलिंग के कारोबार में लगी सारी कम्पनियों को भी शक की नजर से देखा जाता है|दुनिया के अन्य देशों में डायरेक्ट सेलिंग के लिए स्पष्ट कानून हैं अमेरिका के राज्यों में अलग डायरेक्ट सेलिंग के लिए अलग से नियम हैं |सिंगापुर के कानून में ऐसी किसी भी योजना को अवैध माना जाता है जिसमें प्रवेश शुल्क लगता हो ,चीन में भी इसके लिए कानून हैं |भारत में डायरेक्ट सेलिंग कम्पनिया उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा शासित हैं या खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा यह स्पष्ट नहीं है |
               दुनिया भर में 60 देशों की डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों की प्रतिनिधि वर्ल्ड  फेडरेशन ने इस व्यवसाय  में मानक ढांचा तैयार करने के लिए वर्ल्ड सेलिंग कोड ऑफ कंडक्ट यानी आचार संहिता जारी की है| इससे इस उद्योग के अपने नियम-कानून बनाने की दिशा में पहल हो सकती है|ऐसा नहीं है कि डायरेक्ट सेलिंग कम्पनियों को नुक्सान सिर्फ पिरामिड आधरित फर्जी कम्पनियों ने पहुँचाया है |कुछ और भी मुद्दे हैं जिन पर ध्यान दिया जाना जरुरी है जैसे स्वास्थ्य आधारित उत्पाद प्रमाणित हैं या नहीं दवा जैसे उत्पाद बेचने का काम फार्मासिस्ट का है फिर ये कम्पनियां किस कानून के आधार पर स्वास्थ्य संबंधी दावे करती हैं |इनको बेचने वाले लोग ज्यादातर अपने दोस्त रिश्तेदारों को निशाना बनाते हैं |उनका जोर उत्पाद की गुणवत्ता को प्रचारित करने की बजाय सम्बन्धों को भुनाने पर रहता है| इस स्थिति में नए लोग डायरेक्ट सेलिंग कम्पनी के उत्पादों से आसानी से नहीं जुड़ते हैं |
पिछली यूपीए सरकार ने बहुसत्रीय मार्केटिंग और डायरेक्ट सेलिंग की परिभाषा तय करने के लिए एक समिति बनाई थी पर कुछ उल्लेखनीय नहीं हुआ |वर्तमान में उपभोक्ता कार्य मंत्रालय की अध्यक्षता में एक समिति इस मामले पर विचार कर रही है कि इस व्यवसाय  के लिए अलग नियामक होना  चाहिए या नहीं | इस समिति का निर्णय आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि भारत में इस व्वयसाय का भविष्य क्या होगा |व्यवसाय के नजरिये या पर्याप्त क्षमता वाला व्यवसाय है भारत में साठ  लाख लोग डायरेक्ट सेलिंग के इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं जिसमें साठ प्रतिशत महिलाएं हैं |के पी एम् जी  की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त  वर्ष 2012-13 में देश में 34 लाख महिलाओं को रोज़गार मिला |यह रोजगार के अवसर बढाने के साथ –साथ देश की आधी आबादी (महिलाओं ) को भी संगठित करने के साथ –साथ समर्थ और जागरूक भी कर रहा है जिससे वे देश की जीडीपी में अपना योगदान दे पा रही हैं |
अमर उजाला में 21/07/15 को  प्रकाशित लेख 

1 comment:

Ketan said...

Direct selling ya kahe multi level marketing dono ek hi hain lekin fraud companies ke chalte jo veteran comapniespar bhi effect dala hai. jaldi returns ke lalach me log join to karlete hain magar uske company ki history nahi dekhtehain .
yeh vyavsay ek vyakti ko empower karta hai aur iska spectrum kafi wide hai isme na kewal aap logo se miltehai balki achhi bonding bana sakte naiagar aap ke intentions achhe hain to.

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